Tuesday, 4 April 2017

मर्दानगी

कैसी ये मर्दानगी ???
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मैं मर्द अति बलशाली,
खुद को बहुत बलवान बुलाता हूँ
कलाई पर बहन जब बांधती है राखी,
तो उसकी रक्षा की कसमें खाता हूँ
पर पत्नी की एक छोटी सी भी गलती,
मैं सह नहीं पाता हूँ
निःसंकोच उस पर हाथ उठाता हूँ
अरे ! मर्द हूँ,
इस तरह अपनी मर्दानगी दिखाता हूँ
मैं मर्द अति बलशाली,
खुद को बहुत बलवान बुलाता हूँ.
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मेरी बहन की तरफ कोई आंख उठा कर तो देखे,
मैं सबसे बड़ा गुंडा बन जाता हूँ
बेझिझक अपराध फैलाता हूँ
पर सड़क पर चल रही लड़की को देखकर,
अपने मनचले दिल को रोक नहीं पाता हूँ
उस पर अश्लील ताने कसता हूँ, सीटियाँ बजाता हूँ
शर्म लिहाज़ के सारे पर्दे कहीं छोड़ आता हूँ
मैं मर्द अति बलशाली,
खुद को बहुत बलवान बुलाता हूँ.
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और गर कोई मेरा दिल तोड़ दे
या मेरे प्रेम प्रस्ताव को कर दे मना,
क्रोध के मैं परवान चढ़ जाता हूँ
एसिड वार की आग उगलता हूँ
उसको अपनी हवस का शिकार बनाता हूँ
और वैसे भी लड़की तो एक वस्तु है
और लड़कों के हर पाप माफ़ हैं,
यही बात मैं मंच पर चढ़कर माइक पर चिल्लाता हूँ
अरे भई! नेता हूँ,
अपने पद की गरिमा भूल जाता हूँ
मैं मर्द अति बलशाली,
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खुद को बहुत बलवान बुलाता हूँ.
पर एक बात मैं अक्सर भूल जाता हूँ
इस कड़वी सच्चाई को झुठलाता हूँ
कि मर्द बनने की नाकाम कोशिश में,
मैं अपनी आत्मा का सौदा करता हूँ
अपनी भावनाओं का खून कर, हर बार मैं मरता हूँ
संवेदनहीन मैं, शायद एक मर्द तो बन जाता हूँ
पर अक्सर मैं एक इंसान बनना भूल जाता हूँ
मैं मर्द अति बलशाली,
अक्सर एक इन्सान बनना भूल जाता हूँ...

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