Friday, 27 October 2017

दिल

नदी तो बहुत है यहाँ
बस पानी नही है,
जिंदगी बहुत है यहाँ
बस जिन्दगानी नही है।
कोरे कागज और कुछ
आड़ी तिरछी रेखाएं,
टूटे बिखरे शब्द, पर
कोई कहानी नही है।।
इज़हारे मोहब्बत रेत
और पेड़ो पे की हो,
फिर मिटायी न हो ,
ऐसी कोई जवानी नही है।
आग लगी नफरत की
गाँव, शहर की बस्ती में।
बुझाये तो बुझाये कैसे,
दिल है मगर आंख में
पानी नही है।।
आंख में पानी नही है....

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