Monday, 30 October 2017

अपनो के लिये

मिलते जुलते रहा करो...

धार वक़्त की बड़ी प्रबल है,
इसमें लय से बहा करो,
जीवन कितना क्षणभंगुर है,
मिलते जुलते रहा करो।

यादों की भरपूर पोटली,
क्षणभर में न बिखर जाए,
दोस्तों की अनकही कहानी,
तुम भी थोड़ी कहा करो।

हँसते चेहरों के पीछे भी,
दर्द भरा हो सकता है,
यही सोच मन में रखकर के,
हाथ दोस्त का गहा करो।

सबके अपने-अपने दुःख हैं,
अपनी-अपनी पीड़ा है,
यारों के संग थोड़े से दुःख,
मिलजुल कर के सहा करो।

किसका साथ कहाँ तक होगा,
कौन भला कह सकता है,
मिलने के कुछ नए बहाने,
रचते-बुनते रहा करो।

मिलने जुलने से कुछ यादें,
फिर ताज़ा हो उठती हैं,
इसीलिए यारों नाहक भी,
मिलते जुलते रहा करो।

  -अपनों को समर्पित...🎈🙏😊

Saturday, 28 October 2017

मैं कोशिश में हूँ कि

मैं कोशिश में हूँ
कि वो मुझको मना ले
छोड़ के गया था
जिस चौखट पर
आ कर मुझको
उस से उठा ले
मेरी आवाज़ में अब
वो ज़ोर नहीं रहा
वो चले तो उसको
आवाज़ दे कर बुला ले
मैंने रफ्ता रफ्ता ज़िंदगी को
उधड़ते देखा है
कोई धागा ना बचा है
जो रफ़ू तो लगा ले
मैंने उसके अन्दाज़ में
जीने की कोशिश कर ली कई बार
अब क् या तरकीब करूँ
जो इस रिश्ते को बचा ले
आज सज़ा भी पूछे
किस जुर्म के लिए नवाज़ा गया है उसे
होंठ कुछ ना बोले ,लोग भी
बस आँखों से बयान ले

"डफोळ नहीं हुशीय़ार "

"डफोळ नहीं हुशीय़ार "

एक डोकरो गाव जावे हों ! रास्त में एक जवानं रों सागो हुयग्यो !जवानं बोल्यों बाबा आपा रों गाव चार कोश हे ! दो कोश थे म्हारे खादहे बेठज्या अर दो कोश हु थारे खान्द्ध बेठज्यासू तों रस्तो सोरों पारर हुयज्यासी ! डोकरो बोल्यों के बेटा तु तों जवानं हे पण में थारो भार कोनी सांभ स्कुं !

यू बाता कारता कारता रस्ता में एक नाळो देख डोकरो आपरी फाटयोड़ी पगरखया हाथ में ले लि ,पण जवानं तो आपरी नुंवी जूत्या पेहरेयोड़ी राखी अर नाळो पारर क्रर लियो ! डोकरो मन में समझयों क ओँ तों डफोळ हे जको जूत्या पाणी में भीजोऔर खराब कर लि !
                     इताक में दोंन्यो जणँ गाव पुग्गया ! डोकरो हाथ रा ईशारा सू बतायो क बों म्हारो घर हे ! जवानं एक काकरो हाथ में लियो अर जोर सू कीवाड़ माथे फेंक्यो ही ! डोकरा रीं बेटी घर रों आडोखोल्यो ! जवानं पिवण ने पानी मांग्यो ! छोरी घर सू पाणी ल्याई ,जणा जवानं पुछयों क पाणी काचो हे क पाको !
छोरी बोली क पाणी हाल काचो ही हे ! डोकरो रस्ता में जवानं सू हुई सगळी बाता आपरी बेटी ने बताई अर कहयों क ओँ छोरो तों सफा डफोळ ह , तु ईण रीं बाता में ना आईयो !
                                     
छोरी बोली क नहीं बाबा ओँ जवानं डफोंळ कोनी घणो हुनशियार ह ! डोकरो बोल्यों बेटी किया ! छोरी बोली ओँ थाने कहयो क दोय कोश म्हे थारे माथेबेठु अर दोय कोश थे मारे माथह बेठौ ! मतलब दोय कोश थे बाता करों अर दों कोश ओँ बाता करेला !

इता में रस्तो पारर हुय जावेला ! रस्ता में पाणणी रा नाळा ने देख ओँ जूत्या कोनी खोली आ भी समझदारी री बात हे ओँ आपरी जानं की कीमत ने जूत्या सू बतती मानी ही ! अर ओँ जूत्या ने हाथ में  कोनी लि ओँ थींक क्रयो ! पाणी में निच काँच कों टूकड़ो,भाटा या की ओर पग में लाग ज्याव या जहरिलो ज़िव ज़िनावर काट ज्याव ईण वास्ते ओँ जूत्या सू ज्यादा आपरी रक्षा रीं बात सोची !       
                अर जूत्या पेहरया ही पाणी रा नाळा ने पारर क्रयो ! ओँ काकरो आडा माथे फैक्यो ऊण टेम म्हे सिनानं करही ! काकरा री लागया सू आडा री आवाज सूण म्हे समझ गी क कोई कीवाड़ कन्ने आयो हे ईण सू म्हे फटाफट कपड़ा पहरया अर आडो खोल्ल दियो ! ईण सू थाने उडीकणो कोनि पड़यो !

ओँ म्हने पुछयों पाणी काचो हे  .....मतलब म्हे क्वारी हु या प्ररणीज्योड़ी हु ! म्हे बोली पाणी काचो हे मतलब म्हे हाल ताही परणिज्योड़ी कोनी ! जवानं का सगळा लखण डफोंळपणा रा कोनी घणी हुशीय़ारकी रा हे ! आ सूण अर डोकरो आपरी बेटी री सगाई जवानं सू पक्की करण रीं तेवड़ लि  ?

          "रामो ही राम ओँ हुशीय़ारियो "

Friday, 27 October 2017

दिल

नदी तो बहुत है यहाँ
बस पानी नही है,
जिंदगी बहुत है यहाँ
बस जिन्दगानी नही है।
कोरे कागज और कुछ
आड़ी तिरछी रेखाएं,
टूटे बिखरे शब्द, पर
कोई कहानी नही है।।
इज़हारे मोहब्बत रेत
और पेड़ो पे की हो,
फिर मिटायी न हो ,
ऐसी कोई जवानी नही है।
आग लगी नफरत की
गाँव, शहर की बस्ती में।
बुझाये तो बुझाये कैसे,
दिल है मगर आंख में
पानी नही है।।
आंख में पानी नही है....

आजकल

*पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है...!*

*आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है...!!*

*अपने घर की कलह से फुरसत मिले तो सुने…!*

*आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है...!!*

*खुद ही पंख लगाकर उड़ा देते हैं चिड़ियों को..!*

*आज कल परिंदों मे जान कौन रखता है..!!*

*हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर..!*

*आज कल हसरतों पर लगाम कौन रखता है..!!*

*बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां_बाप को..!*

*आज कल घर में पुराना सामान कौन रखता है…!!*

*सबको दिखता है दूसरों में इक बेईमान इंसान…!*

*खुद के भीतर मगर अब ईमान कौन रखता है…!!*

*फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह..!*

*अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है**

Thursday, 26 October 2017

आज का आदमी

दूसरों को देख भागा जा रहा है आदमी
टुकड़ों टुकड़ों में बिखरता जा रहा है आदमी

अंत इच्छाओं का इसकी तो कभी होता नहीं
पास सरिता, फिर भी प्यासा जा रहा है आदमी

ज़िन्दगी के मंच पर किरदार जो भी मिल गया
उसको  शिद्दत से निभाता जा रहा है आदमी

फांकता है धूल ही गुणवान खाली बैठकर
अब तुला पर धन की तोला जा रहा है आदमी

रूप ,दौलत की सुरा का पान बस करने लगा
डूब कर इनमें बहकता जा रहा है आदमी

जन्म से ले मौत तक का तय इसे करना सफर
खुद  मोड़ मुड़ता जा रहा है आदमी

Love ka मौसम

सर्द मौसम में इश्क़ को अपने, कुछ यु आजमाते है,
तुम आँखे बंद करो अपनी, हम तुम्हे सीने से लगाते है...!!!
रिश्ता अपना ये जो ठहर सा गया है कुछ  वक़्त से,
गुफ़्तु फिर वही करके, इसे फिर से आगे बढ़ाते है...!!!
कुछ याद तुम मुझे करो, कुछ याद हम तुम्हे करें,
ख़्यालो में फिर से एक दूसरे के "हम तुम" खो जाते है...!!!
जब आ ही गया है, एक बार फिर से ये प्यार का मौसम,
दूरियां दिलों की मिटा के, हम फिर से एक हो जाते है...!!!
यु तो याद करने से तुझे, ठहर रहा मेरा हर लम्हा है,
आखिरी बार ही सही, लम्हों को फिर से यादगार बनाते है..🦂

Monday, 23 October 2017

मुक़द्दर

==मुक़द्दर ने जाल डाले हैं==
ख़ुदाया खेल तेरे भी बहुत निराले हैं
कहीं पे भूख बहुत है, कहीं निवाले हैं
तमाम ज़ुल्मो सितम सह रहे हैं अर्से से
गरीब लोगों के फिर भी ज़ुबाँ पे ताले हैं
कोई भी ख़ौफ़ उन्हें क्या डराएगा आख़िर
दिलों में हौसला चट्टान सा जो पाले हैं
जिन्होंने काँधों पे चढ़कर के देखी है दुनिया
न देखे पाँव में कितने हमारे छाले हैं
नसीब किसका हमेशा जवान रहता है
तमाम महलों में अब मकड़ियों के जाले हैं
न ऊब जाये कहीं आदमी ख़ुशी भर से
तभी ख़ुदा ने गमों के भी लम्हे ढाले हैं
न जाने कौन से लम्हे में मौत आ जाये
कदम कदम पे मुक़द्दर
ने जाल डाले हैं

गांव की बातड़ली

लटकै भींता लेवड़ा, छातां में चमचेड़ ।
गजबी म्हे हां गामड़ा, म्हांनै थूं ना छेड़ ।।

मुरदी मुरदी गावड़ी, मुरदा मुरदा बैल ।
मुरदी अठै लुगावड़ी, मुरदा टाबर गैल ।।

कुड़तौ लीरम लीर है, कज्छ अजूबै कट्ट ।
आगौ आगौ साबतौ, पीच्छौ सफ्फा चट्ट ।।

तार तार सलवार सूं, बारै झांकै आब ।
कारी पर कारी चढी, कुड़तै दियौ जवाब ।।

बांका चूंका ढुंढिया, बांकी चूंकी पोळ ।
पोळी आगै भींटकौ, ओ घर कीं रौ बोल ।।

घास फूस रौ झूंपड़ौ, भींटेरां री बाड़ ।
गूंथ बणायौ टाटियौ, बीं री करसी आड़ ।।

।। रामस्वरुप किसान ।।बातड़ली

खुशियाँ

💫 *हम तो खुशियाँ
उधार देने का*
*कारोबार करते हैं,साहब*

*कोई वक़्त पे लौटाता नहीं है*
*इसलिए घाटे में हैं....*

हुस्न

तेरा हुस्न बयाँ ना हो सका मुझसे,

थक गया शायरी करते करते..!!

#तन्हा_पीके🦂