Sunday, 30 September 2018
Kavita
Friday, 28 September 2018
कविता
कनाल पड़ी है गैण, अर भात भरण आला है ।
नहीं तो पाणी हूं किसान कठ डरण आला है।
अबकी फसल होण हूं ऑपरेशन करवाणो है।
अर् बाप बींगा माचा माहीं मरण आला है ।
टाबरां न काढ दिया स्कुल मुं, क फीस कोनी ल्याया।
इब के फसल हूं आंगा भी हिसाब करण आला है ।
नहीं तो पाणी हूं किसान, कठ डरण आला है।
नहीं तो पाणी हूं किसान, कठ डरण आला है।
लार आयड़ी गे गळ गो ओम बेच्यो मां री आंख्या गी दवाई खातर,
बींगा भी तो सुहाग रा धागा घड़ण आला है।
अब थे सुनल्यो बात मेरी, अर मान जाओ माल्कों।
नहीं तो अब क कोई पुर ही, अड़ाण धरण आला हैं ।
नहीं तो पाणी हूं किसान कठ डरण आला है।
नहीं तो पाणी हूं किसान कठ डरण आला है।
अर बोत है सरकारां कन होण आला,
बीं कन, तु हीं बता कुण खड़ण आला है।
बोळा ऊंचा गा तो सपणा ही कोनी ल्य।
बींगा तो कच्चा ढूंढड़ा ही पड़ण आला है।
नहीं तो पाणी हूं किसान कठ डरण आला है।
नहीं तो पाणी हूं किसान कठ डरण आला है।
खेत में है धाप ग कादो अर लाद कोनी ज्वार में दांती ।
थार भाई गी
, खेत में रूखाळी गी बारी रात ने आयड़ी है पांती,
ल्याज राखो बादळो, लाग बचेड़ो खेत भी डांगर चरण आळा है।
नहीं तो पाणी हूं किसान कठ डरण आला है।
नहीं तो पाणी हूं किसान कठ डरण आला ह
बेवफा bevfa
मुझको जज्बात के हालात पे रोना आया
बेवफा मुझको तेरे साथ पे रोना आया
नजर नजर से मिलीं और दिल ने दिल माँगा
सच कहूँ आज उसी बात पे रोना आया
प्यार को खेल दिल लगी को दिल्लगी कहना
जुल्मीं हमें तेरे खयालात पे रोना आया
कदमों में दिल रखा तो तूने मार दी ठोकर
तेरी बेढंगी सी सौगात पे रोना आया
प्रथम मिलन जिसे माना था खुदा की नेमत
आज इस दिल को उसी रात पे रोना आया
कितना पूछोगे और कितना बतायें तुझको
साथ मेरे हुई हर घात पे रोना आया
राज टूटा यकीं तो दिल भी तार तार हुआ
तेरी शह से हुई इस मात पे रोना आया
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